Sunday, 22 March 2009

शादी की रस्म



हिंदू की शादी में, बहुत रस्म हैं। दोनों रस्म मंगलासुत्रम और सपतापादी हैं। मंगलासुत्रम एक हिंदू की शादी लक्षण है। मंगलासुत्रम में, एक कञन गहना एक पीला धागा पर लगता है। यह पीला धागा, हल्दी के साथ बनता है। जैसा अंग्रेज़ी की शादी में, शादी की अंगूठी है, वैसा हिंदू की शादी में, मंगलासुत्रम है। तेलुगु, कनाडा, और तमिल बशाएं में, मांगल्य का नाम "ताली" है। यह रस्म दक्षिण भारत से, उतर भारत गया। मंगलासुत्रम शब्द का मतलब, "शुभ धागा" है। हिंदू की शादी में, यह मंगल्सुत्रम बहुत ख़ास है। शादी के दौरान दूल्हा, दुल्हन का गरदन पर मंगलासुत्रम के साथ तीन गिरह गांठता है। कुछ हिन्दुस्तानी संस्कृतियों में, ये तीन गिरह श्री ब्रहम्मा , श्री विष्णु, और श्री शिवा दिखलाते हैं।
हिंदू की शादी में, एक और रस्म, सपतापादी का नाम है। "सपतापादी" शब्द का मतलब "सात कदम" है। ये रस्म, जीवन का यात्रा दिखलाता है। शादी में, यह रस्म करते है सो दुल्हन और दूल्हा दोनों, यह यात्रा हाथ में हाथ चलेंगे। वे दोनों, आग के चारों ओर सात कदम चलते हैं। हिंदू ख्याल कहता है कि अगर दुल्हन ओर दूल्हा यह सपतापादी करें, तो दोनों पुरी जीवन के लिए साथ-साथ रहेंगे। पहली कदम पैसा के लिए है ओर दूसरी कदम, भौतिक, मानस , और अशारीरिक आनन्द के लिए है। तीसरा कदम, उचित जीवन के लिए है और चौथा कदम जीवन में खुशी, प्यार, और आदर के लिए है। पांचवा कदम बच्चे के लिए है और छठवां कदम एक लम्बा जीवन के लिए है। सातवां कदम का मतलब है कि इस शादी के बाद, दुल्हन और दूल्हा पुरी जीवन में, कृपालु, और स्नेही रहेंगे।

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