Sunday, 11 January 2009
सर्दी की छुटिटया
मैंने अपनी छुट्टिया बहुत अच्छे से मनाई। पहले दिन से शुरुवात अच्छी थी। मेरी हवाई जहाज की गलती की वजय से मुझे अत्युत्तम में सीट मिली और साथ में कुछ पैसे भी। जब मैं घर पहुंची तो मुझे बहुत खुशी हुई क्योंकि मैं चार महीने के बाद घर जा रही थी। पहले कुछ दिनों मैंने अपनी माँ की मदद की उसके दुकान पर। क्रिसमस पर कुछ रिश्तेदार घर आए और हमने उपहार बांते। उस दिन के बाद मैंने काफी समय अपने दोस्तों के साथ बिताया। अपने स्कूल के दोस्तों के साथ खाना खाने गई और बहुत बाते की। फिर अपने बड़े भाई बहनों को मिलने गई। उन्होंने मुझे बहुत अचछी और महंगी जगा पर खाना खिलाया। उसके बाद जब वापिस घर आई तब मेरी बचपन की सहेलिया के साथ चार दिन रही। हम गज़नी देखने गए और ख़ुद खाना बनाया। बहुत सारी बाते भी की हमने और फिर नए साल को मानाने न्यू जर्सी गए। वहा हम तीनो पार्टी मैं गए और बहुत मज़ा आया। आखरी कुछ दिन मैंने अपने ममी और पापा के साथ बिताये। दोनों के काम मैं हाथ बटा्या । गुल मिलके मैंने बहुत मज़ा किया और मैं बस वापिस ही नही आना चाहती थी।
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1 comment:
घर छोड़ने का तो कभी मन नहीं करता।
कृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें। यह न केवल मेरी उम्र के लोगों को तंग करता है पर लोगों को टिप्पणी करने से भी हतोत्साहित करता है। स्पैंम की चिन्ता मत कीजिये। यह वास्तव में उससे बहुत कम जितना की आप सोचते हैं - शायद नहीं के बराबर।
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