Sunday 23 March 2008

गुजरती शादी (या लगन)


गुजरात में जो लोग शादी सनातन संस्कृति के अनुसार करते हैं वे कुछ शादी के नियम भी मानते हैं. में आज यहॉ शादी के दो नियमों के बारे में बात करुगी. पुराने काल में लडकी के मात और पिता जी उस्की शादी की तैयारी बहुत साल पहले शुरु करते थे. छोटी मोटी चीजें संग्रह करके अपनी बेटी को स्त्रीधन के रुपे में देते थें. आजकल गुजरात में स्त्रीधन मोसालु नाम से जाना जाता है. मूलतः स्त्रीधन और मोसालु एक ही है. एक-दो दिन शादी से पहले दुल्हन के मामा जी अपनी भांजी को एक बडा उपहार पेश करते हैं. इस उपहार में कपड़े, गहने और सबसे खास पानेतर साड़ी होती है. पानेतर सफेद और लाल रंग की साड़ी होती है. इस रीति में चूड़ो भी देना पड़ता है. चूड़ो हिन्दी में चूड़ी कहा जाता है. उपहार देने से पहले दोनों माता पिता जी दुल्हन और दूल्हा उनसे गृह शान्ति हवन या होम कराया जाता है। इस हवन में माता और पिता जी प्रार्थना करते है की उनके बच्चे साथ साथ सदैव खुश रहे और जल्दी से नाता या पोता बनाये. इस पूजा के अन्त में नारियल का बलिदान होता है। लेकिन एक पूजा नहीं होती है दो होती है एक दुल्हे के घर में और एक दुल्हन के घर में।

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