Saturday 28 February 2009

दहेज़ प्रथा

जब लड़की की शादी होने वाली है, तो लड़की के माँ बाप को दहेज़ प्रथा देना पड़ता है. दहेज़ प्रथा मै सोने की गहने और रुपयेमेरे मिलते है. मेरे कयल से दहेज़ प्रथा जबरजस्ती नही होनी चाहिए। कुछ परिवार गरीब है और ज्यदा पैसे जमा नही कर सकते है। फिर शादी नही होती या ससुर वाले लड़की को टंक करते है। कब्बी गली भी देते है। अगर ये सब होता तो लड़की को शादी मै कैसे शान्ति मिलेगी? आज कल "रीसस्सन" मै यह कतिना बाद जा रही है। कुछ लोग कहते है की दहेज़ प्रथा एक बीमा होता है- अगर पति का दहांत हो जाए तो पतनी के पास कुछ पैसे होंगे। लेकिन ज्यादातर होता है की पति पैसे बिताता है। फिर अगर दहांत हो जाए तो लड़की के पास पैसे नही होता और लड़की के माँ बाप के पास भी नही। दुरसे कतिने भी है। दहेज़ प्रथा "कास्ट स्य्स्तम" को बचाता है। अजर बहुत पैसे नही हो तो बड़ा दहेज़ प्रथा नही दे सकते है और केवल एक दूसरा गरीब आदमी को शादी करना होगा. दहेज़ प्रथा के जगह मै प्यार देना करना चाहिये। लड़की और लड़का एक दुसरे को समाज करना जरुरी है। दोनों को लिकना चाहिये कि घर की क्या जिम्नेदारी है और कौन करेगा कब। फिर पति पतनी आनंद मै रहेंगे।


दहेज़ प्रथा

दहेज़ प्रथा एक बड़ा दस्तूर है, हिन्दुस्तानी संस्कृती में। दहेज़ प्रथा में, शादी पर, लड़कियों के माता-पिता लड़कों के परिवार को, पैसा और चीजें देते हैं। वे अक्सर पैसा या गहने देते हैं। दहेज़ प्रथा दस्तूर बहुत पूरानी है लेकिन आजकल भी भारत में, दहेज़ प्रथा है। कुछ लोग सिर्फ़ तोफे देते हैं। लेकिन अब भारत में, बहुत प्रथा एक बड़ा समस्या है क्योंकि कुछ लोग शादी के लिए बहुत ज्यादा पैसा को पूछते हैं। और अगर लड़कियों के माता-पिता के पास यह पैसा नही है, तो शादी नही करेगी। अगर लड़कियों के माता-पिता शादी के बाद, पैसा नही देते, तो लड़का, लड़की को, तलक देगी। पुरानी दिनों में, दहेज़ प्रथा था क्योंकि, लड़कियों ने काम नही किया, और वह पैसा उन के लिए था, अगर अपना पति को कुछ होगा। लेकिन, अब बहुत लोग बहुत लालची हैं और इसलिए, भारत में, दहेज़ प्रथा एक बड़ा समस्या है। अगर एक परिवार में, एक लड़की जन्म हो, तो अपने माता-पिता चिंता करते हैं, कि हम अपनी बेटी की शादी को कैसा खर्च दे सकेंगे? मुझे दहेज़ प्रथा दस्तूर नही पसंद है। मेरे ख्याल में, अगर शादी समय पर, दोनों परिवार सिर्फ़ तोफें अदला बदला करें, तो वह बहुत अच्छा लगता है।

Friday 27 February 2009

दहेज प्रथा

एक हिंदुस्तानी दस्तूर है कि शादी पर दुल्हन का पिताजी दुल्हे का परिवार को कुछ चीजे देता है। पुराने ज़माने में दुल्हन और दुल्हे के माँ-बाप एक दुसरे से मिलकर कुछ चीजे या पैसे दुल्हन के माँ-बाप से मांगते थे। यदि दुल्हन के माँ-बाप वे चीजे नही दे सकते, कभी कभी दुल्हे के माँ-बाप रिश्ते को तोड़ देते थे। लड़के के परिवार कई बार बहुत पैसे लड़की के परिवार से मांगते थे। इसलिए लड़की के परिवार उसकी शादी कभी नही कर सकते। गरीब परिवार लड़की की खुशियाँ नही देख बाल करते थे क्योंकि उन्होंने पैसे चाइये। इसलिए प्यार की शादी कभी कभी होती थी, लेकिन बहुत ही शादी इन्ताजाम हुई। आजकल विलायत के ध्यान भारत में आया और सब शादियाँ बड़ा शेहर में प्यार से होती है। अब छोटा शेहर में प्यार की शादी भी है लेकिन छोटा शेहर में बहुत ही गरीब लोग है कि दहेज चाहते हैं। मै सोचता हुँ कि दहेज तो पागल है और मुझे मालूम है कि अपने माँ-बाप कभी नही दहेज ले लेंगे। जब मेरे माँ-बाप ने शादी किया, अपना दादाजी ने एक ही रुपी दहेज ले लिया। यदि मै शादी करता हूँ, मेरी दुल्हन और मै सिखी का परम्परा सम्मान दे देंगे।

दहेज प्रथा


हिंदुस्तान की संस्कृति में दहेज प्रथा खास तरह से होती है। अक्सर दहेज में दुलहन के माता पिता कुछ पैसे और कुछ चीजे दुल्हे के परिवार को देते हैं। पुराणी दिनों में बाप के लिए दहेज सब से बड़ा भार होता था। जब से लड़की का जन्म होता है तब से उसके बाप उसकी शादी के लिए पैसे बचाना शुरू कर देता है। पूर्व समय में इस लिया माता पिता लड़के होने की आशा रखते थे। उन दिनों में एक बाप सोचता था कि वह अपनी बेटी को जितना ज्यादा दहेज में दे सके उतना अच्हा लड़का उसको मिलेंगा। अगर लड़की अपने से बड़ी जाति में शादी करना चाहती है तो लड़के के माता पिता ज्यादा दहेज मांगते थे। कभी कभी लड़की के साथ दुल्हे के परिवार ने बुरा बर्ताव किया था क्योंकि दहेज उनके लिए कम था। आज कल दहेज में मांगने की प्रथा नही रही लेकिन बाप आशा रखता हैं कि वह खुशी से अपनी बेटी को शादी पर ज्यादा दे सके।

Thursday 26 February 2009

दहेज प्रथा

दहेज लेना देना भारत में कई साल से परम्परा है। पुराने दिनों में दहेज देना बहुत जरुरी था। हर बाप को अपनी बेटी के लिए दहेज दिए बिना शादी नही हो सकती थी। दहेज का मतलब सिर्फ़ पैसे नही लेकिन गाड़ी, बंगला, और ज़मीं भी था। दहेज देना खुशी की बात थी लेकिन कई परिवारों के लिए बहुत तकलीफ की बात थी। गरीब लोगो के लिए बहुत कष्ट था। लड़कियों का पढा होना सब के लिए खुशी की बात नही थी। बहुत गरीब परिवारों में लड़की पैदा होने पर उसे मार दिया जथा था। जितना ज़्यादा दहेज कोई दे सके उठाना बढ़िया लड़का उन मिल सकता था। दहेज की परम्परा आज भी बहुत प्रति है। आज कल के पड़े लिखे लोग इस परम्परा को मिटाना चाथे है। मैं सोचती हूँ कि दहेज की लेनदेन बहुत बुदी चीज़ है। मैंने बहुत कहानिया सुनी हूँ जहाँ लड़किया को जला दिया होता क्योंकि वहां अपने साथ काफी पैसे नही लायी। मैं सोचती हूँ कि हमारे बच्चो को यह सिखाना चाहिये कि लड़की और लड़का के बिच में कोई अन्तर नही। लड़किया आज कल लड़को के जैसे पदाई कर सकते और अच्छे काम भी पा सकते है। मेरे परिवार में दहेज नही दिया जाता है। अमेरिका में यहाँ रिवाज़ नही है यहाँ लड़का और लड़की ने कोई अन्तर नही है। यहाँ परम्परा हमारे देश में बहुत साल से आया है इसी लिए इसी मिटने के लिए बहुत वक्त लगेगा।

Wednesday 11 February 2009

मेरा मनपसंद भारतीय लोक नाच

भारत मे बहुत सारे मजेदार लोक् नाच हैं, और उन मे से मेरा सब से पसांद भंगड़ा है। भंगड़ा पंजाब का लोक नाच् है। जब यह नाच पेले शुरु हुआ, किसान वैसाकि मनाने के लिए करते थे। लेकिन आज कल भंगड़ा सब जगे आ चुका क्यों की जब पंजाअबी लोग भारत से कई और गए वे अपनी नाच अपने सात लिए। हर जगा लोगों यह नाच् तोदा अलग से कर ते हैं। इंग्लन्द और अमेरिका मे बहुत गायक् भंगड़ा के गने मे अंग्रेझी भी मिलातें हैं। मुझे यह बात पसंद है की भंगड़ा में कई तरे के गाने और कई तरे के नाच भी हैं। भंगड़ा बहुत चुस्त नाच है और जब लोगों भंगड़ा के गाने सुन्ते हैं थो उट्कर नाच्ने का मन होत है। इस्सी लिए पर्ती मे भंगड़ा सुन कर बहुत मजा आता है। मेरे पिता जी को भंगड़ा बहुत पसंद है और बचपन से लेके आज तक जब भी भंगड़ा का गना बजता हैं वह मुझे और मेरी बहनों और माता जी को अपने सात नाचने के लिए बुलातें हैं। भंगड़ा सब से अच्चा लग्ता है जब बहुत दोस्तों और परीवारवाले के सात कर थे हैं।

Tuesday 10 February 2009

Monday 9 February 2009

मेरा मनपसंद भारतीय लोक नाच


मेरा मनपसंद भारतीय लोक नाच भंगरा है क्यों की मुझे बहुत मज़ा आता है जब में पंजाबी घनो पे नाचता हूँ
बचपन से मैं और मेरा परिवार पंजाबी घनो पे नाचता अ रहा है
हम लोगो को भंगरा इतना पसनंद है के हम कही भी शरू हो जाते है
मैंने सबसे जादा अपने मामा की शादी पे नाचा था
शादी भारत मैं हुई थी और बरात मैं ढोल बजा था और उस ढोल पे नाचना का एक अलग से ही माजा है
मैंने और मेरे परिवार ने खूप डांस किया था उस शादी पर और हमने जादा तर पंजाबी घनो पे भंगरा किया था
मुझे बॉलीवुड घनो पे नाचा भी अच लग ता है लेकिन इस नाच का कोई नाम नही है

इन घर्मियो के चुतियूं में में दोबारा भारत जाऊंगा और किसे की शादी में फिर से भंगरा पाउँगा
मेरी कोउसिं भाई के शादी हो सकती है तो मुझे अच्छा नाचने का मुका मिल सकता है
यहाँ मैं गाड़ी और नहाने के वक्त पंजाबी घाने काफी सुनता हूँ और कभी कभी बीच सड़क पर शरू होजाता हूँ
मुझे भंगरा नाच बहुत पसंद है

मेरा मनपसंद भारतीय लोक नाच

मेरा मनपसंद भारतीय लोक नाच रास है। इस साल, मैं मिशिगन रास टीम में डांस कर रहा होऊं। रास गुजूरात से है और मुझे बुहुत मजदर लगता है। एक दो फाथे पहेले मेरी टीम ने डंडिया धमाका में नचा था। डंडिया धमाका एक बड़ी कोम्पितिशुं जिसमे दस स्चूल्स नाचते हैं। सब स्कूलस साथ मिनट के लिए डंडिया को जोर से उड़ते हैं। मुझे स्ताज पर डांस करना बहुत अच्छा लगा। एक हजार लोग के सामने नाचना करने में थोड़ा सा डैड तो होता है। लकिन जब गाने शुरू होते, फिर मैं ये सब भूल जथा होऊं।

भरतनाथहत्यम

भरतनाथहत्यम एक बहुत सून्दर और असुकर भारतीय लोक नाच ह।यह नाच कर्नटिक संगीत के सात उपस्थिहत होता है। यह एक पुरनी और अती सुन्दर नाच है। भरतनाथहत्यम शूरु हुइ तमिल नादु मे। इस नाच मे पुरा शरीर को काम करना पर्ता है। भरतनाथहत्यम का कपडे बहुत भारी और सून्दर भी होते है। पहैना किलीये कूच जादा समय लगत है। ठीकसे सीखने किलीये सालों लगता है। सीखने के बाद एक अरंगेत्रम कर्ना पड़ता है।

भरतनाथहत्यम बस नाच नही है, पुजा भी है। कुच संगीत शिवजी के है, लेकिन बहुत सारे दुसरे के भी है। अक्सर नर्तकी कि सात गवैया भी होते है, लेकिन आज कल रिकोर्देद भी होता है।

भरतनाथहत्यम एक बहुत सुन्दर विद्या है, और लोग सद नाचेंगे।

Sunday 8 February 2009

मेरा मनपसंद भारतीय लोक नाच

मेरा मनपसंद भारतीय लोक नाच भंगड़ा तो है। मिशिगन में मै एक भंगड़ा टीम पर हूँ। रोज़ में भंगड़ा का अभ्यास करता हूँ चार घंटे तक। भंगड़ा पंजाब से आत है। मेरा परिवार भी पंजाब से है, और मेरा पिता जी पंजाबी संगीत गाते हैं। हर बार एक शादी या जनम दिन या पार्टी हो रहा है, हम ढोल बजाके भंगड़ा नाचते हैं। भंगड़ा में बहुत ही किस्म है, क्योकि पुंजाब में बहुत ही छोटे छोटे गोत्रे हैं। जब मै भंगड़ा नाच रहा हूँ, तब मुझे बहुत खुशी आता हूँ। जैसा कुछ नही मुझे छू सकते हैं। भंगड़ा में इतने परंपरे और अभिमान है, कि जब में नाच रहा हूँ, अपना पुरा दिल पूंजब के लिए चलता है।

Chhau

बिहार का लोक नाच का नाम छ्हू है। यह शब्द संस्कृत के शब्द 'छाया' से आता है। इस नाच मई सब लोग अपने चेहरे पर एक नकाब पेहेनते है। इस नकाब को हम 'chhau' कहते है। सब लोग नाचने के समय तलवार और फरी का इस्तमाल करते है। स्टेज पर बहुत तरह के दिया और कंदिल रखे जाता है। गीत के लिए ढोल, नगरा और सह्नैस का इस्तमाल किया जाता है। इस नाच में नकाब बहुत बड़ा और भरी होता है, और इस लिए नाच सिर्फ़ ७ से १० मिनट के लिया चलता है। इस नाच के तीन बज हिस्से है: राग, भाव और ताल। इस नाच में जानवर, आदमी और जगत का सम्बन्ध दिखाया जाता है। सागर नृत्य, सर्प नृत्य और मयूर नृत्य सब इस नाच में देखे जा सकते है। इस नाच में ज्यादा तर सिर्फ़ आदमी और लड़के नाचते है। 'chhau' महीना के पछिस्वे दिन पर किया जाता है, शिव जी के नाम में।

मेरा मंद पसंद लोक नाच


मेरा मंद्पसंद लोक नाच भंगरा है। भंगरा पंजाब से अत है। मेरे परिवार भी पंजाब से है और थोरी देर के लिए वे वह रहेते थे। भंगरा का संगीत बोहुत अच्छा है, और दोल बजाते है। दोल द्रुम है, और बोहुत बाढ़ा है। जो लोग भंगरा करते है अक्सर पगढ़ी पहनते है। जब मै छोटा था, मेरा पिता जी गाने गता था, और घर मे नाचते था। मुझे बहुत मज़ा आता था देखने मे। एक बार हम लोग भारत गये और मेरे सारा परिवार के साथ रहेते थे। रत मे लोग गाने सुनते थे और गाते थे। कियोकी मेरे परिवार को भंगरा बहुत पसंद है, मुझे भी बहुत पसंद है।

मेरा मनपसंद भारतीय लोक नाच


मेरा मनपसंद भारतीय लोक नाच डांडिया है। बहुत तरह के रास है, लेकिन डांडिया रास सबसे मशहूर है। डांडिया रास पश्चमी भारत से है, गुजुरात में। डांडिया रास में आदमी और औरतें साथ साथ नाचते हैं। उनके हाथ में दो डांडिया हैं। वे डांडिया हाथ में घूमाते हैं और दोनों डांडिया को मारते हैं। पुराने दिनों में, डांडिया रास ज्यादा गाना नहीं था। सिर्फ़ दोल का आवाज काफ़ी था। अब, डांडिया रास में ज्यादा गाना है और दूसरे बाजे है। पचास साल पहले, हिन्दुस्तानी फिल्में में डांडिया रास का इस्तमाल शुरू हुआ। इस के कारण, डांडिया रास का तरीका बदल गया। उधारानार्थ, बहुत लोग अम्रीका में सिर हिलाते है।
आदमी और औरतें बहुत रंगीले कपड़े पहनते हैं, और औरतें बहुत सुंदर गहने पहनते हैं।

मेरा मनपसंद भारतीय लोक नाच


मेरा मन पसंद नृत्य गरबा-रास है। रास और गरबा दोनों चक्कर में खेलते है क्योंकि जिंदगी और मरण की तरह नकल करते है। सब पहले रास गुजुरात से शुरू हुआ। रास दो लकड़ी के साथ खेलते है। कम से कम दो लोग होने के लिए लेकिन दो से ले कर कितने भी अधिक लोग हो सकते है। रास-गरबा के बहुत सारे अलग अलग प्रकार होते है। रास के मुख्य पाँच कदम होते है। अन्य तरह के रास में ज्यादा क्दमे भी होते है। मैंने पहले बार पाँच कदम रास सिखा। मैंने जब प्रतियोगिता में बाग़ लिए था टीबी दस कदमों का रास किया था। और मेरे समूह बाराह लोग थे। में सिर्फ़ दस साल की थी और मुझे बहुत मज़ा आयी थी उसके बाद इस लिए मैंने कई बार प्रतियोगिता में बाग़ लिया। दो रास का नृत्य निर्देशन किया था। मैंने अलग हिन्दुस्तानी नुत्य सिखने की कोशिश थी लेकिन मुझे सबसे ज्यादा रास-गरबा ही पसंद आया।


मेरा मंद्पसंद भारतीय नाच

  • भारत में अनेक प्रकार के नृत्य हैं और उन सब में से मुझे गरबा रास बहुत पसंद हैंयह नाच का आरम्भ भगवान कृष्ण के ज़माने में हुआकहा जाता हैं की भगवान् कृष्ण, वृन्दावन के गोपिकोँ के साथ रास लीला का नाच करते थेआज यह नाच गुजरात में बहुत मशहूर हैंनवरात्री के त्यौहार पर, हर सभी गरबा रास करते हैं। जब में मुंबई में रहती थी, तब हर साल मेरे स्कूल में नवरात्री का समारोह होता थामुझे यह नाच इसलिए पसंद हैं क्योंकि हर सभी को सज-धजने का मौका मिलता हैं। लड़कियां घागरा चोली पेहेंती हैं और लड़के सलवार कुरता पहेंते हैं। इस अवसर पर सभी अपने परिवार के सदसियों और दोस्तों के साथ नाचते हैं। गरबा रास में लोग एक घेरे में नाचते हैं ओर रास नाच में 'डांडिया' का इस्तिमाल भी किया जाता हैं। संगीत बहुत ही जोहिला होता हैं उसमे ढोलकी कास बहुत प्रयोग होता हैं। इन सब चीजों के कारण मुझे यह नाच बहुत ही पसंद हैं।

मेरा मनपसंद भारतीय लोक नाच

यह है मरी मनपसंद भंगड़ा गाना की गायक, "डा बिल्ज़"



मेरा मनपसंद नाच भंगड़ा है। अमरीका मे भंगड़ा और हिप होप मिलकर एक नाच बन गेय हैं। बहुत अमरीकन बच्चे को यह नाच पसंद आती है। भंगड़ा पुनजब की नाच है। इतिहास मे किसानो यह नाच करते थे जब बसंत का मौसम आती था। पहले यह हिंदुस्तान का नाच था लेकिन अब उ.क, मे बहुत बड़ा हो गया है। अब अमरीका मे भी बहुत बड़ा होता जा रहा है। भंगड़ा का संगीत मेरा मनपसंद है। एक गाना मुझे बहुत पसंद है। यह गाना भंगड़ा और हिप होप है . इस गाने का नम दो स्टेप भंगड़ा है . यह नीचे है विडियो:









लोक नृत्य

मेरा मन पसंद लोक नृत्य है गरबा रास। मुझे यह बहुत अच्छा लगता है क्योकि में गुजुरत में से हूँ। जब में छोट्टा बच्चा था, तब मेरी माँ मुझे रास देखने ले जाती थी। यह रास गरबा नवरात्रि का हैं। यह नृत्य कृष्ण भगवन ने पहला किया। उसको कहते हैं रास लीला। डंडिया रास, जो गुजुरत में बहुत प्रस्सिद्ध है, उस में आदमी और औरत डंडिया लेकर बजाते हैं। और जब डंडिया बजाते हैं साथ साथ से, तब माथा ऊपर निचे करते हैं। यद्यपि मुझे अच्छा लगता हैं डंडिया रास, मुझे नाचता नही आता। मैं छठा हु कि पिछले साल इ.अ.स.अ मै डंडिया रास कर सकता हूँ। मेरी माँ जब जाती हैं मन्दिर मै नाचने के लिए, मै जाता हु लेकिन सिर्फ़ बैठकर देखता हूँ।

मुझे रास के लिए जो बहुत पसंद हैं वह हैं ढोल। रास के पीछे संगीत हैं जो बजते हैं वह हैं ढोल। बहुत ऊची आवाज़ से ढोल बजती है तो मैं खदेडकर नाचने शुरू हो जाता हूँ। यह बर्ष मै लिअसों था उ.इ.क कि टीम के लिए। जब वेह चिकागो मै से आए थे, तो मैंने वह टीम को घुमाया। बहुत मज़ा आयी थी मुझे टीम के साथ।

समाजो के मुझे नाचता नही आता क्योकि रास करना बहुत कतठिन बात नही हैं। मुझे रास करता नही आता क्योकि मै सिर्फ़ ऐसा आदमी हु। मैं तो सीधे साधे चल भी नही सकता। मैं तो दूसरी चोप्डी (ग्रेड) जब भंटा था, तब मेरी जिम शिक्षक मुझे लड़किया के साथ दोदाती थी। मुझे बिल्कुल ख़बर हैं के आप रास करना कहते हो तो आप कर सकेंगे।


ठीक हैं, यह बात करने के लिए मेरी अंगदी को प्यास लगी हैं। मै पानी पीकर चालू

मेरा मनपसंद भारतीय लोक नाच

मेरा मनपसंद भारतीय लोक नाच भंगरा है। मैं सब भारतीय नाच पसंद करती हूँ लेकिन भंगरा मेरा मन पसंद है यह है क्यों कि बचपन से पार्टी में मैं पुंजाबी गाने सुनती थी मैं नाचने में बहुत आच्छी नहीं हूँ लेकिन जब सब लोग नाच रहे हे, वे देखने बहुत मज़ेदार है भंगरा गाने कहते और भंगरा नाचने लिए भी कहते हें भंगरा पुंजाब में शुरू हुआ क्यों कि वे लोग किसान थे और वे स्प्रिंग आने की खुशी मना रहे थे भंगरा बहुत पुराना है लेकिन स्टेज में करने लिए १९४७ हुआ और तब बहुत लोग देखने शुरू करते थे अभी अम्रीका में भी बहुत प्रतियोगिता चलते हैं और स्कुल में भंगरा का टीमस बनते हैं ये टीम्स बहुत आच्छे हैं बहुत लोग (कि हिन्दुस्तानी नहीं हैं) भंगरा देखने पसंद करते हैं मैं पुंजाब में भंगरा देखने चाहती हूँ

मेरा मनपसंद भारतीय लोक नाच

भारत बहुत बड़े और विभिन्न देश है। एक छोटा अजीरा, कर निकोबार, दक्षिणी पश्चिमी कोण है। वहा के लोग, निकोबारिस, एक मनोहर नाच करते है। नाच होता है जब " ओस्सुअरी" उत्सव मना जाता है। साब लोग चांदनी मे नाचते जैसे कब्बी नही नाचते, क्योकि उत्सव केवल दो-तिन साल होती है। नाचने वाले नारियल की छाल मे नाचते है, कहावती संगीत सुनकर। उत्सव मे सुअर लार्डवाते है और फिर उनकी कुरबानी भी होती है। असुर भगना यह सब करते है।

Saturday 7 February 2009

मशहूर भारतीय नाच


भार्तनातिय्म आठ में से एक हिन्दुस्तानी शास्री नाच है। यह नाच दक्षिण भारत से आई। लोगों मंदिर में प्र्दशिंत करते थे। अब लोगों मंच पर नाचते हैं। सर्वाधिक लोगों बचपन में भारतनातिय्म शुरू करते हैं। चेहरे का भाव बहुत महत्वपूर्ण है। सारे गतियाँ स्पष्ट और मजबूत होना चाहिय। नर्तकियाँ पारंपरिक कपड़े और बडे जेबर पहनती हैं नाच हमेशा कहानी बताते हैं। प्राय संगीत बजे नृत्य के साथ होते हैं। मैं दो साल के लिए भार्तनाटिय्म नाचती थी। यह नाच अच्छी तरह से सीखने के लिए हर हफ्ते काफी घंटों के लिए अभ्यास करना होता हैं। दस-बारह साल के बाद नर्तकियाँ अन्गेत्र्म में अकेली नाचती है। सारे परिवार और दोस्त देखने आते हैं। मैं चाहिती हूँ कि मैं आज भार्तनाटिय्म करती हूँ। यह बहुत सून्दर भारतीय नाच है।

मेरा मनपसंद भारतीय लोक नाच

मेरा मनपसंद भारतीय लोक नाच भंगरा है। जब में चोटी थी तब मैं भारत नाट्यम सीखने लगी। हाई स्कूल आकर मैंने स्कूल का डांस टीम में डांस किया जिसमे हिप होप डांस करती थी। लेकिन कॉलेज आकर ही मुझे भंगरा डांस करने को मिला। भंगरा नाच इतना जोशीला है। यह नाच पंजाब का है और सबसे अलग है। इसमे ढोल बहुत है और जोह बातें इन गानों में है वोह भी बहुत सार्थक है। मुझे पुराणी भंगरा गाने पसंद है लेकिन आज के नए गाने में नाचना भी मुझे बहुत अच्छा लगता है। मेरे मनपसंद गायक पंजाबी एम् सी, आर दी बी, लम्बर, जज्जी बी, जुग्गी डी, शिंदा, और बहुत सारें है। यह गाने सब को नाचातें है। नाच और गाना दोनों एक जैसे होते हैं। भंगरा दिल से किया जासकता है क्योंकि गाना हमें नाचना सिखाती है।

भंगडा


भंगड़ा एक भारतीय लोक नाच है । पंजाब में शरू हुई थी । शरू में, लोग भंगड़ा उछल आने के लिए करते थे । यह एक मुजेदार और तेज़ नाच है । आज-कल भंगड़ा सिर्फ़ एक भारतीय लोक नाच नही है - लोग अमेरिका, कनेडा, और युरप में करते है ।
भंगड़ा के साथ तरीके है - झूमर, लूद्दी, गिद्धा , जुल्ली, दान्कारा, धमाल, सामी, किकली, गतका । हर तरीका असमान है। यह है संस्कृति तरीके । आज-कल लोग हिप-होप, रेग्गे, और टेक्नो नाच भंगड़ा के साथ करते है। गाने बहुत दिलचस्प है क्यूंकि आज-कल गाने एक बड़ी मिलाव है। झूमर, लूद्दी, और धमाल में नर्तक बृत में नाचते है । दान्कारा में, नर्तक लड़की के साथ नाचते है । अक्सर लडकियाँ गिधा लेकिन नशे में आदमियो भी करते है। किकली एक लडकियाँ का नाच है और उस नाच में लोग बोलियाँ गाते है । गतका एक सीखी मार्शल आर्ट है ।
भंगडा में नर्तक बहुत सुंदर कपडे पहते है । आदमी कुर्ता और चादर पहते है और औरते सलवार पहती है ।

Friday 6 February 2009

मेरा मनपसंद भारतीय लोक नाच



मुझे नाच बहुत अच्छा पसंद है। मेरा मनपसंद नाच, "फयूसन" है। यह डांस दोनों अंग्रेज़ी और भारतीय का नाच है। लेकिन, मेरा मनपसंद भारतीय लोक नाच "रास गरबा" है। हिन्दुस्तानी की संस्कृति में, कृष्ण ने यही नाच राधा के साथ खेले। यह नाच का नाम "रास लीला" था। अब, रास गरबा गुजुरात में बहुत मशहूर है।
एक बार, मेरे हीय स्कूल में, मैं और अपने दोस्त एक गरबा डांस नाचे। हम अपना स्कूक का "कल्तुरल शो" के लिए नाचे। यह डांस के लिए, हम सब ने बहुत प्रैकटिस किया। गरबा नाच में, लड़के और लडकियां दोनों नाचते हैं। लड़कियों के कपड़े का नाम "घगरा चोली" है। यह डांस में, "दान्डीया" के साथ नाचते है। हमारे कल्तुरल शो के लिए, हमारा डांस का गाना का नाम "डोल बाजे" था। रास गरबा में, दोनों कपड़े और संगीत बहुत मजेदार और सुंदर हैं।

Wednesday 4 February 2009

मेरा मनपसंद शास्त्रीय नाच (पार्ट २)

कुचिपुडी में एक अलग तरह का नृत्य भी होता है जो और कोई नृत्य में नही होता। कुचिपुडी के तरंगम में हमे एक पीतल के थाली के ऊपर नृत्य करना होता है। हाथ में दिया यह फिर माथे पे पीतल का लोटा भी होता है। इस नृत्य में भरत नाट्यम के जैसे ही कपड़े और जेवर पहने जाते है। सात आठ साल के बाद लोग रंगप्रवेसम करते है जो कुचिपुडी का क्रमागति होता है। इसमे नर्तकी को तीन घंटे कुचिपुडी के अलग नृत्य करने होता है उसके सारे परिवार और दोस्तों के सामने। मेरे रंगप्रवेसम में करीब ५०० लोग आए थे और ४०,००० का कर्च हुआ था। कुचिपुडी से मुझे काफी सिखने को मिला है अपने धर्म और संस्कृति के बारे में। क्योंकि कुचिपुडी मेरे दिल के बहुत करीब है वह हमेशा मेरा मनपसंद नृत्य होगा।

मेरा मनपसंद शास्त्रीय नाच

मैं आज एक अलग तरह के नृत्य के बारे में बात करुँगी जिसका नाम है कुचिपुडी। कुचिपुडी आंध्र प्रदेश में शुरू हुआ था कई सालो पहले। श्रीमान सिद्धेन्द्र योगी ने यह नृत्य को उसका रूप दिया। मैं जब छे साल की थी तब मैंने कुचिपुडी सीखना शुरू किया था और मैं तब से लेकर आज तक सीखती ई हु। कुचिपुडी भरत नाट्यम से बहुत मिलता जुलता है। कुचिपुडी मैं चेहरे के ज़्यादा हाव भाव होते है।

निशा और माधव

http://umichlang10.hipcast.com/download/51caab90-a3be-d773-4ff4-62add7d6431b.mov

Tuesday 3 February 2009

दहेज प्रथा

दहेज प्रथा एकआछी चीझज थी, लेकिन अब बहुत गड़बड़ हो गया । आज कल सब लोग पैसा कमा सकते है । औरत भी कमासकते है । जब औरत काम कर सकते, तब दहेज प्रथा की क्या जरूरत क्या है? दहेज प्रथा अब कुच नही करता है । आब बस खराब लोग पैसा लेते है बिना मतलब से । कुच लोग पैस सालओं के लीये पैसा मिंते है । बोलते है की उन्के बेट लड़की को चोडेगा । ये बिल्कुल ठीक नही है । कुच मतलब नही है, बस लोग पैसा के लीये करते है और लड़ की परीवार करती है क्यो की सब डरे है की आदमी की परीवार कुच करेगा । इस लीये, मतलब एक आछा चीज नही है ।

Monday 2 February 2009

मेरी मनपसंद भारत्या लोक नाच


मेरी मनपसंद लोक नृत्य डंडिया रास है। यह गुजुरत स्टेट कि सबसे मशहूर नृत्य है। यह नवरात्री के समय किया जाता है। डंडिया रास लड़की और लड़को दोनों करते है। अपने हाथो में दो डंडिया पकड़ले है और हम के नाचते है। लड़कियाँ गाग्रा चोली फ्न्थी है और लड़को केडिया और टोपी। कहते है कि डंडिया दुर्गा देवी कि छुड़ी कि जगह में है। लड़कियाँ खुब गहने पहनती है। नृत्य बहुत तेज और खटिं है। इस नृत्य के सात ढोल का इस्तेमाल किया जाता है। में साथ साल से रास कर रही हूँ। में फोगना कौम्पटिशन में हिस्सा लेती थी। मैं कॉलेज में रास टीम में भर्ती होने में खोशिश कि और सफल हुई। मेरे टीम के सात हम मेरी अमेरिका में रास के कौम्पटिशन में हिस्सा लेते है। मुझे रास के कोस्तुमे सबसे पसंद है। मैं आशा करती हूँ कि मैं यह नृत्य बहुत साल टक करूं क्योंकि यह मेरी सबसे मन्पसंढ लोक नृत्य है।