Wednesday 5 March 2008

मेरा स्प्रीन्ग ब्रेक पर मैं उर्मिल से मिली

इस बसंत की छुट्टी पर मैं रेल से आयोवा गई थी. मैं आयोवा सिटी में मेरे दोस्तों के घर पर रुखी. जहां शिकागो में रेल रुकी वहां मैंने रेल छोड़ दी. शिकागो में मेरी दिल्ली की सहेली मकन्जी रहती है, तो मैं उससे मिली. एक रात मैं मकन्जी के घर पर रुखी.
मकन्जी ने एक गुजराती बुढि़या से अंग्रेजी पढ़ी है. बुढि़या का नाम उर्मिला हैं. जब मैं शिकागो पहुंची तो मकन्‍जी और मैं उर्मिला से मिलीं. हमारे लिए उस बुढि़या ने चाय बनाई और हम तीनों ने अच्छी बातचीत की. टी.वी. पर एक बहुत बड़ी या बढि़या बॉलीवुड की फिल्म थी. हम भारत-वाले नाचने के बारे में बोल रही थी, तो फिर उर्मिला ने हम सबके लिये उसका मनपसंद नाच दिखाया.
जब हम चाय पी चुकी थी तब मकन्जी स्कूल का काम करना चाह्ता था, तो उसने उर्मिला और मुझे छोडा. मै उर्मिला के घर में रुकी. मैंने हमारे लिये दो और प्‍याले चाय के बनाने शुरु किये.

2 comments:

आलोक said...

अयओव सिती -> आयोवा सिटी
जहाँ - जहाँ
रत - रात
पहुन्ची - पहुँची
त - तो
मिल्लीं - मिलीं
ह्म के लिये - हमारे लिये
छाय - चाय
तिन - तीन
आच्छी - अच्छी
बुदी - पूरानी ?
मनपस्न्द - मनपसन्द
स्कुल - स्कूल
घ्र - घर

Sanjay Karere said...

इस बसंत की छुट्टी पर मैं रेल से आयोवा गई. मैं आयोवा सिटी में मेरे दोस्तों के घर पर रही. जहां शिकागो में रेल रुकी वहां मैंने रेल छोड़ दी. शिकागो में मेरी दिल्ली की सहेली मकन्जी रहती है, तो मैं उससे मिली. एक रात मैं मकन्जी के घर पर रही.
मकन्जी ने एक गुजराती बुढि़या से अंग्रेजी पढ़ी है. बुढि़या का नाम उर्मिला हैं. जब मैं शिकागो पहुंची तो मकन्‍जी और मैं उर्मिला से मिलीं. हमारे लिए उस बुढि़या ने चाय बनाई और हम तीनों ने अच्छी बातचीत की. टी.वी. पर एक बहुत बड़ी या बढि़या बॉलीवुड की फिल्म थी. हम भारत-वाले नाचने के बारे में बोल रही थी, तो फिर उर्मिला ने हम सबके लिये उसका मनपसंद नाच दिखाया.
जब हम चाय पी चुकी थी तब मकन्जी स्कूल का काम करना चाह्ता था, तो उसने उर्मिला और मुझे छोडा. मै उर्मिला के घर में रहती. मैंने हमारे लिये दो और प्‍याले चाय के बनाने शुरु किया.

अमां यार हिंदी तो सही लिखो...क्‍या इसे सुधार सुधार कर ही पढ़ना पढ़ेगा