Wednesday, 4 February 2009
मेरा मनपसंद शास्त्रीय नाच (पार्ट २)
कुचिपुडी में एक अलग तरह का नृत्य भी होता है जो और कोई नृत्य में नही होता। कुचिपुडी के तरंगम में हमे एक पीतल के थाली के ऊपर नृत्य करना होता है। हाथ में दिया यह फिर माथे पे पीतल का लोटा भी होता है। इस नृत्य में भरत नाट्यम के जैसे ही कपड़े और जेवर पहने जाते है। सात आठ साल के बाद लोग रंगप्रवेसम करते है जो कुचिपुडी का क्रमागति होता है। इसमे नर्तकी को तीन घंटे कुचिपुडी के अलग नृत्य करने होता है उसके सारे परिवार और दोस्तों के सामने। मेरे रंगप्रवेसम में करीब ५०० लोग आए थे और ४०,००० का कर्च हुआ था। कुचिपुडी से मुझे काफी सिखने को मिला है अपने धर्म और संस्कृति के बारे में। क्योंकि कुचिपुडी मेरे दिल के बहुत करीब है वह हमेशा मेरा मनपसंद नृत्य होगा।
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