Friday 27 February 2009

दहेज प्रथा

एक हिंदुस्तानी दस्तूर है कि शादी पर दुल्हन का पिताजी दुल्हे का परिवार को कुछ चीजे देता है। पुराने ज़माने में दुल्हन और दुल्हे के माँ-बाप एक दुसरे से मिलकर कुछ चीजे या पैसे दुल्हन के माँ-बाप से मांगते थे। यदि दुल्हन के माँ-बाप वे चीजे नही दे सकते, कभी कभी दुल्हे के माँ-बाप रिश्ते को तोड़ देते थे। लड़के के परिवार कई बार बहुत पैसे लड़की के परिवार से मांगते थे। इसलिए लड़की के परिवार उसकी शादी कभी नही कर सकते। गरीब परिवार लड़की की खुशियाँ नही देख बाल करते थे क्योंकि उन्होंने पैसे चाइये। इसलिए प्यार की शादी कभी कभी होती थी, लेकिन बहुत ही शादी इन्ताजाम हुई। आजकल विलायत के ध्यान भारत में आया और सब शादियाँ बड़ा शेहर में प्यार से होती है। अब छोटा शेहर में प्यार की शादी भी है लेकिन छोटा शेहर में बहुत ही गरीब लोग है कि दहेज चाहते हैं। मै सोचता हुँ कि दहेज तो पागल है और मुझे मालूम है कि अपने माँ-बाप कभी नही दहेज ले लेंगे। जब मेरे माँ-बाप ने शादी किया, अपना दादाजी ने एक ही रुपी दहेज ले लिया। यदि मै शादी करता हूँ, मेरी दुल्हन और मै सिखी का परम्परा सम्मान दे देंगे।

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