Sunday 8 February 2009

लोक नृत्य

मेरा मन पसंद लोक नृत्य है गरबा रास। मुझे यह बहुत अच्छा लगता है क्योकि में गुजुरत में से हूँ। जब में छोट्टा बच्चा था, तब मेरी माँ मुझे रास देखने ले जाती थी। यह रास गरबा नवरात्रि का हैं। यह नृत्य कृष्ण भगवन ने पहला किया। उसको कहते हैं रास लीला। डंडिया रास, जो गुजुरत में बहुत प्रस्सिद्ध है, उस में आदमी और औरत डंडिया लेकर बजाते हैं। और जब डंडिया बजाते हैं साथ साथ से, तब माथा ऊपर निचे करते हैं। यद्यपि मुझे अच्छा लगता हैं डंडिया रास, मुझे नाचता नही आता। मैं छठा हु कि पिछले साल इ.अ.स.अ मै डंडिया रास कर सकता हूँ। मेरी माँ जब जाती हैं मन्दिर मै नाचने के लिए, मै जाता हु लेकिन सिर्फ़ बैठकर देखता हूँ।

मुझे रास के लिए जो बहुत पसंद हैं वह हैं ढोल। रास के पीछे संगीत हैं जो बजते हैं वह हैं ढोल। बहुत ऊची आवाज़ से ढोल बजती है तो मैं खदेडकर नाचने शुरू हो जाता हूँ। यह बर्ष मै लिअसों था उ.इ.क कि टीम के लिए। जब वेह चिकागो मै से आए थे, तो मैंने वह टीम को घुमाया। बहुत मज़ा आयी थी मुझे टीम के साथ।

समाजो के मुझे नाचता नही आता क्योकि रास करना बहुत कतठिन बात नही हैं। मुझे रास करता नही आता क्योकि मै सिर्फ़ ऐसा आदमी हु। मैं तो सीधे साधे चल भी नही सकता। मैं तो दूसरी चोप्डी (ग्रेड) जब भंटा था, तब मेरी जिम शिक्षक मुझे लड़किया के साथ दोदाती थी। मुझे बिल्कुल ख़बर हैं के आप रास करना कहते हो तो आप कर सकेंगे।


ठीक हैं, यह बात करने के लिए मेरी अंगदी को प्यास लगी हैं। मै पानी पीकर चालू

No comments: