Wednesday 8 April 2009

शादी के रस्मे

दक्षिण भारत की शादिया उत्तर भारत से बहुत अलग हैं। पंजाबी, गुजरती, और सिन्धी शादियाँ अवश्य बडे धूम धाम से की जाती हैं लेकिन दक्षिण भारत में संगीत, मेंहदी जैसे रस्मे नही होती। में आँध्रप्रदेश से हूँ और यहाँ की शादियाँ बहुत ही अलग हैं। में दो रस्मों के बारे में बात करूंगी। पहले रस्म को 'काशी यात्रा' कहा जाता हैं। यह रस्म शादी के पहले होती हैं। दूल्हा पूजा करता हैं और फिर कहता हैं की शादी करने के बजाय वह काशी जाना चाहता हैं और अपना जीवन भगवान् सो समर्पित करना चाहता हैं। हाथ में चाता लेकर और लकड़ी के चप्पल पहेनकर वह निकलता हैं। दुल्हन के पिता और भाई दुल्हे को रोकने और मनाने की कोशिश करते हैं। दूसरा रस्म को 'स्नाताकुम' या 'धागे की रस्म' कहा जाता हैं। इस रस्म में दुल्हे के घर में पूजा होती हैं जहाँ दुल्हे को ब्रह्मण का धागा पहनाया जाता हैं।

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