Tuesday 7 April 2009

करवा चौथ


करवा चौथ एक हिन्दु त्योहार है जो शादी-शुदा औरतें मनाते हैं। इस दिन पर औरतें ब्रत रक थे हैं अपने पती के लम्बी जिन्दगी के लिये। पतनी का कषट उसकी प्यार का चिन्ह है। यह त्योहार कर्तिक महीने मे मनया जाता है, पुर्णिमा के चार दिन बाद और दीवाली के आट दिन पहले। करवा चौथ के रात पर विवाहित औरतें सुन्दर क्प्डे और गहने पहन्ते हैं और हाथों पर मेंहदी लगा ते हैं। जब चान्द निकलता है, तब वे उसकी पूजा कर थे हैं और भगवान को करवा चराते हैं। उसके बाद वे चलनी से अपने पती को देख थे हैं और ब्रत तोड ते हैं। औरत पहला काट अपने पती के हाथ् से खाते हैं और तब अनोख भोजन खाते हैं।
इस त्योहार के साथ बहुत कहनीओं जुडे वे हैं। अब यह त्योहार विवाहित औरत का शक्ती से मिला हुआ है लेकिन इसकी शुरूआत कुछ और है। पहले जमाने में लड्कीआं और छोटे उमर मे शादी करते थे और अपने पती के घर एक नया जगा थे। वहां वह किस्सी को भि नहीं जान्ती थी, थो वह एक सहेली बनाती थी। दोनो लड्की उमर मे साथ थे और बहन जैसे बन जते थे। करवा चौथ पर उनकी दोस्ती मनया जत था। इस दिन पर वे अपने दोस्त के यहां तोफा लेके जते थे। पती का लेना देना इस त्योहार से बाद मं आया ता।

No comments: