Monday 2 March 2009

दहेज प्रथा

आज कल के ज़माने में धुनिया ने बहुत सफलता पाई है और वोह पुराने रिवाजों को भूल के बहुत आगे निकेल चुकी है मगर आज भी कुछ देश है जैसे के हमारा अपना देश हिंदुस्तान जहाँ पर अभी भी दहेज प्रथा का रिवाज़ चलता है . हिंदुस्तान बहुत आगे निकल सकता है और सबसे अच्हा देश बन सकता है लेकिन इन ही रिवाजों ने हमे रोक कर रखा है.मेरे ख्याल से दहेज प्रथा खुद की मर्ज़ी के खलफ नहीं होनी चाहिए और अगर कोई देना नहीं चाहता है तो उस को नहीं कुछ कहना चाहिए और उस का साथ देना चाहिए लेकिन हिंदुस्तान में एसा नहीं होता और रिश्तेदार जबेर्दुस्ती करते है लड़की वालो से और वोह यह परिस्थिति रख्देते है के अगर तुम दहेज नहीं दुगे तो हम शादी नहीं होने देगे .

यह रिवाज़ मुझे भिल्कोल भी नहीं पसंद है . मेरे ख्याल से लड़की वाले लड़के वाले को अपनी बेटी दे रहे है इतना ही बहुत होता है .इस रिवाज़ को बदलना ही होगा और यह रिवाज़ लड़की के परिवार को समजना होगा के वह अपनी बेटी को अय्से घर में भेज रहे है जहाँ पर वह दहेज को मानते है वहाँ पर उनकी बेटी का क्या आदर होगा . तो यह रिवाज़ बदल सकता है मगर लोगो को अपनी सोच को सबसे पहले सुधारना होगा .

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