Sunday 5 April 2009

लोहरी


पुनजब में लोग लोहरी बनाते हैं। हर साल, लोहरी जनवरी में होती है जब पुनजब के खेतों में काफी गेहूं भरा होता है। लोहरी अक्सर बाहर मनाई जाती है। बाहर लोग एक साथ मिलकर अलाव के पास शाम को बैठाते हैं। लोहरी के दिन बच्चे गाना गाते हुए एक घर से दुसरे घर जाते हैं। बच्चे दूल्हा भट्टी के गाने गाते हैं। दूल्हा भट्टी एक चोर था जो गरीब लोगो की मदद करता था और उनकी अधिकारों के लिए लुरता था। यह गाना गाने वाले बचों को लोगों से मिठाई मिलती है और कभी कभी उनको पैसे भी मिलते हैं। जो सब कुछ बच्चों को मिलता है, उसको लोहरी कहते हैं और यह सब कुछ लोहरी के रात बांटा जाता है।

रात को मूँगफली और फुलिया आग में फेंक जाते हैं अग्नि के लिया, जो एक आग का भगवन है। लोहरी में लोग अग्नि को पूजा करते हैं अलाव के पास और परसाद बनते हैं। परसाद पाँच चीजों से बना होता है -- मूँगफली, फुलिया, गचुक, तिल, और गुर। पंजाबी लोग अपने घरों मे लोहरी बनाते हैं। घर पर लोग काफी रंगीन कपड़े पहनाते हैं और नाचते हैं । लोग काफी भंगरा और गीधा करते हैं।

1 comment:

Unknown said...

This is a good essay describing about Lohri in Hindi. Please write more essays in english describing Dinosaurs.